भारत सरकार और राज्य सरकारें समय-समय पर जमीन से जुड़ी प्रक्रियाओं में बदलाव करती रहती हैं। हाल ही में जमीन की रजिस्ट्री (Land Registry) को लेकर नया नियम लागू किया गया है। इस नियम का सीधा असर जमीन खरीदने और बेचने वाले लोगों पर पड़ेगा।
जमीन की रजिस्ट्री क्यों होती है ज़रूरी?
- जमीन की रजिस्ट्री किसी भी संपत्ति के मालिकाना हक का सबसे बड़ा प्रमाण होती है।
- बिना रजिस्ट्री के जमीन का मालिकाना हक कानूनी रूप से मान्य नहीं होता।
- रजिस्ट्री के बाद ही खरीदार को जमीन पर पूरा अधिकार मिलता है।
नए नियम में क्या बदलाव हुए हैं?
- ऑनलाइन रजिस्ट्री सिस्टम – अब ज्यादातर राज्यों में रजिस्ट्री प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई है।
- आधार और पैन लिंक अनिवार्य – खरीदार और विक्रेता दोनों का आधार और पैन कार्ड लिंक होना ज़रूरी होगा।
- स्टाम्प शुल्क और फीस ऑनलाइन जमा – पहले की तरह बैंक ड्राफ्ट की जगह अब डिजिटल पेमेंट से फीस जमा करनी होगी।
- फर्जीवाड़ा रोकने के लिए QR कोड – नए रजिस्ट्री दस्तावेज़ों पर QR कोड होगा जिसे स्कैन करके जानकारी चेक की जा सकेगी।
- बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन – खरीदार और विक्रेता की उंगलियों के निशान और फोटो रजिस्ट्री के समय डिजिटल रूप से सुरक्षित की जाएगी।
नए नियम के फायदे
- जमीन खरीद-फरोख्त में पारदर्शिता आएगी।
- फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी पर रोक लगेगी।
- लोगों को बार-बार दफ्तर के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
- रजिस्ट्री प्रक्रिया में समय और पैसे की बचत होगी।
- भविष्य में किसी भी विवाद की स्थिति में QR कोड से असली मालिकाना हक की पुष्टि की जा सकेगी।
किन दस्तावेजों की होगी जरूरत?
- आधार कार्ड और पैन कार्ड
- जमीन का खसरा और खतियान नंबर
- पिछले मालिक का रजिस्ट्री दस्तावेज
- पासपोर्ट साइज फोटो
- डिजिटल सिग्नेचर (कुछ राज्यों में अनिवार्य)
निष्कर्ष
जमीन की रजिस्ट्री से जुड़े नए नियम आम जनता के लिए राहत और सुरक्षा लेकर आए हैं। अब लोग आसानी से अपनी जमीन की खरीद-फरोख्त कर पाएंगे और डिजिटल सिस्टम की वजह से धोखाधड़ी की संभावना बहुत कम हो जाएगी।
अगर आप भी जमीन खरीदने या बेचने की योजना बना रहे हैं, तो नए नियमों की जानकारी लेकर ही प्रक्रिया पूरी करें।